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रविवार, 10 मई 2015

मातृ दिवस पर


1
माँ ने जिसका ख्याल रखा उम्र भर
वो ही आज ख्याल रखे जाने की मोहताज
ये कैसी नियति की बिसात ?

2
कल तक जिसके पाँव तले जन्नत दिखती थी
आज अकेलेपन उदासी के कमरों में सिमटी बैठी है
तुझे बात करने की फुर्सत नहीं मिलती
उसी माँ के मुख से तेरे लिए दुआएं निकलती हैं

3
जिसके नेह की बरसात में भीगा रहा बचपन
उसी माँ का ममता भरा साया जो सिर से हट गया
उसी एक पल से जान लेना
ज़िन्दगी में कड़ी धूप का सफ़र शुरू हो गया 


4
ये माँ की दुआओं का ही असर होता है
कि खुदा भी अपना नियम बदल देता है
जब उसकी पुकार चीरती है आसमां का सीना
तब खुदा का सिर भी सजदे में झुका होता है



3 टिप्‍पणियां:

Onkar ने कहा…

बहुत सुन्दर

कविता रावत ने कहा…

मातृ दिवस पर विचारणीय व चिंतनशील रचना प्रस्तुति ....
शुभकामनायें आपको!

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

ati sundar ma to ma hoti hai ...