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शुक्रवार, 14 अप्रैल 2017

बिन्नी चौधरी की नज़र में -- "बुरी औरत हूँ मैं"




"बुरी औरत हूँ मैं" की Binni Chaudhary द्वारा लिखित प्रतिक्रिया ....कम शब्दों में गागर में सागर भरती प्रतिक्रिया के लिए दिल से आभार बिन्नी........तुम सबकी प्रतिक्रिया ही मेरे लेखन का सबसे बड़ा प्रतिफल है जो मुझे आगे लिखने को प्रेरित करता है :)

प्रतिक्रिया इस प्रकार है : 

वंदना गुप्ता द्वारा लिखा गया कहानी संग्रह "बुरी औरत हूँ मैं"... कहानियों का संग्रह नहीं फूलों का गुलदस्ता है। जिसमें भिन्न -भिन्न रंगों और खुशबुओं के फूल हैं। आपकी कहानियों में सबसे अच्छी बात यह है कि जब तक कहानी समाप्त नहीं होती यह दिलचस्पी बनी रहती हैं कि आगे क्या होगा? इस पुस्तक में तो आपने कहानी के साथ कविता का भी रस घोला है... जिससे मिठास और भी बढ़ गई हैं। कुछ कहानियां.. जैसे ऐसा आखिर कब तक?...छोटी सी भूल या गुनाह, बुरी औरत हूँ मैं, कितने नादाँ थे हम, आत्महत्या :कितने कारण आदि बार -बार पढने को मन करता हैं..! ये कहानियाँ कुछ सोचने को मजबूर करती हैं..! दिल और दिमाग कहानी के पात्र और घटनाओं पर तर्क -वितर्क करने को विवश करता है..! पता नहीं आपकी ये कहानियाँ वास्तविक जिंदगी से प्रेरित है या नहीं लेकिन मैं ये यकीन से कह सकती हूं कि आपकी ये कहानियाँ हमारे समाजिक परिवेश में प्रायः देखने को मिलता है..! जिसे आपने अपने कलम के जादू से बड़ा प्रभावी बना दिया हैं.....! वंदना गुप्ता दी......!

2 टिप्‍पणियां:

Onkar ने कहा…

सुन्दर समीक्षा. बधाई

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

बढ़िया समीक्षा। ऐसे सुधि पाठक के लिए बधाई आपको